सुबह तक रख ले ना आज चाँद को अपने आँचल में
कल पहली किरण के साथ ही अलविदा कह दूंगा
चला जाऊंगा चाँद को साथ लेकर कहीं बहुत दूर, तेरे दिन के उजाले से
कल से बस इसके हिस्से में अमावस होगी, वादा करता हूँ
देख ना कैसे तड़प रहा है तेरी पनाह पाने को, तू देख ना
देख ना कैसे सिसक रहा है तुझसे दूर होने के गम में, तू देख ना
बस सुबह तक रख ले ना आज चाँद को अपने आँचल में
कल पहली किरण के साथ ही अलविदा कह दूंगा
कल से तू आज़ाद होगी, इक नया चाँद ले आना रातें रोशन करने के लिए
थोड़ी मुश्किल ज़रूर होगी बेदाग़ चाँद ढूंढने में
चाँद है तो दाग तो होगा ही उसमे
उसे रोक ना, वो जा रहा है, उसे इक बार रोक ले ना
उसे टोक ना, वो पिघल रहा है, उसे टोक ना
बस सुबह तक रख ले ना आज चाँद को अपने आँचल में
कल पहली किरण के साथ ही अलविदा कह दूंगा
तेरा तो पूरा आसमान होगा, कोई नया मेहताब होगा
दिन के उजाले को कोई आफताब होगा
थोड़ी सी हिक़मत दिखा, रहमत अता करदे
तोड़ मत इस मेहताब को, वो खुद ही पिघल जायेगा
मोम सा है, मासूम है, उसे आज तू मत छोड़ ना, मत छोड़ ना
है अकेला अब सफर उसका, आज यूँ मुँह मोड़ ना, तू आज यूँ मुँह मोड़ ना
बस सुबह तक रख ले ना आज चाँद को अपने आँचल में
कल पहली किरण के साथ ही अलविदा कह दूंगा
चला जाऊंगा चाँद को साथ लेकर कहीं बहुत दूर, तेरे दिन के उजाले से
कल से बस इसके हिस्से में अमावस होगी, वादा करता हूँ
“ऋतेश “
Amritesh
December 17, 2015 at 6:32 amBehtreen….