“तू परेशान है तो आसानी किसको है”

तू परेशान है तो आसानी किसको है सब कुछ यूँ ही मिल जाये तो परेशानी किसको है वो बहक गया देखा – देखी कल मै भी जो बहक जाऊं तो हैरानी किसको है लुट रहा है मुल्क चलो हम भी कुछ लूट लें मुफ्तखोरी से भला इस मुल्क में बदहज़मी किसको है तू परेशान है…

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“नज़्म जो लिखे थे तुम पर”

नज़्म जो लिखे थे तुम पर कई साल पहले सर्दियों में जाने कहाँ छिटक कर गिर गए हैं वो मेरी डायरी से मैंने बहुत ढूँढा पर कहीं ना मिला अब तक कुछ भी हाँ मगर धुंधला सा याद है थोड़ा बहुत जोड़ कर देखूंगा हर्फ़ दर हर्फ़ शायद कहीं वो अधूरी नज़्म मुकम्मल हो जाये…

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“मैं इंसान ही जन्मा था मैं इंसान ही मरूंगा”

हर बात में एक कहानी छुपी है जिसके पीछे किरदार छिपे है अलग-अलग नक़ाब लगाए हुए, छुपाते है अपनी असल शक़्ल को इस क़दर जो कभी सामना हो खुद का आईने से तो खुद की आँख भी धोखा खा जाये और नक़ाब ओढ़े हुए किरदार को खुद भी ना पहचान पाए यही फलसफा है दुनिया…

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“एक अज़नबी”

शहर में मिला था एक अज़नबी मुझसे बोला उसे मालूम है एक नयी छुपी हुई दुनिया तलक जाने का रास्ता वो वाकिफ है एक जादुई सीढ़ी से जो वहाँ तक जाती है रास्ता बहुत आसान है और सफर बहुत छोटा है उसकी बातो में सिर्फ और सिर्फ सच्चाई झलक रही थी और उसकी भूरी आँखों…

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