“यादों को यादों की गलियों में छोड़”
यादों को यादों की गलियों में छोड़ ख्वाबों को चुनने हम चल दिए हैं ठंडी सी रात में आँखों को मीचे दिन की तलाश में हम सिरफिरे हैं तलब है उजाले को मुट्ठी में करना अंधेरो को पीछे छोड़कर हम चले है लकीरे हथेली की यूँ ना बदलेंगी बदलने को तक़दीर सजग हैं, अटल हैं […]