"जो कह ना पाई बात तुमसे"

जो कह ना पाई बात तुमसे, आज फिर कैसे कहूँ
होंठो पर ही है रखी, ज़ज़्बात तुमसे क्या कहूँ

वो पहली झलक, कमसिन अदा
वो झुकती पलक, गालों पर हया
तेरे दीदार का असर कुछ इस तरह मुझ पर हुआ
मुझमे मैं अब मैं नहीं, तू ही तू बस तू रहा

है दब गई जो बात दिल में, आज फिर कैसे कहूँ
खता दिल से हुई है दिल ही भुगते
इलज़ाम तुझपे क्या मढ दूँ

जो कह ना पाई बात तुमसे, आज फिर कैसे कहूँ
होंठो पर ही है रखी, ज़ज़्बात तुमसे क्या कहूँ

है तुम्हे इंकार फिर भी, मेरा दिल ही रखने को सही
समझ लेना जो भी कुछ बात तुमसे है कही
तेरी छाँव जब से है मिली, अब खौफ मुझको कुछ नहीं
बस साथ हो तेरा ही, तुम पर आस मेरी ये टिकी

है बहुत एहसास दिल में, चंद लफ़्ज़ों में क्या कहूँ
जो कह ना पाई बात तुमसे, आज फिर कैसे कहूँ
होंठो पर ही है रखी, ज़ज़्बात तुमसे क्या कहूँ

“ऋतेश”

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