"सुना है पिछली रात तुम बहुत रोये थे"

सुना है पिछली रात तुम बहुत रोये थे
आँखों का सारा काजल फैला दिया था अपने गालों पर

सुबह के तारे ने सब बता दिया है मुझको
आंसू पोछ लो अब और मत रोना उस चाँद के लिए
सदियों की अमावस तुम्ही ने मांगी थी उससे गुस्से में आकर
और वो छुप गया है अँधेरा लपेटकर कहीं किसी ऊँचे पहाड़ के पीछे शायद
या डूब गया है किसी दरिया में

तुम अब चाहकर भी उसे निकाल नहीं पाओगे
वो चाँद अब बेजान सा है, खामोश है, सहमा है, जाने कहा छुपा बैठा है
या खरीद लिया है उसे किसी और आसमान ने, ताउम्र पूनम का वादा करके

उस चाँद की चांदनी बस तेरे लिए ही थी पगली
तूने इक बड़े तारे की चाह में खो दिया उसको
वो रो रहा था, मेरे छत के ऊपर से गुज़रते हुए

सिगरेट के धुएं में अटक के रुका तो सुन लिया मैंने
मैं घर की बालकनी में ही था कल रात
उस चाँद को ऐसे देखा तो छलक गई मेरी आँखे
अरसे बाद कोई इतना मुझ जैसा, मज़बूर दिखा मुझे |

“ऋतेश

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