"आज़ादी की सालगिरह पर"

आज़ादी की सालगिरह पर सबमे है उन्माद भरा उम्र हो गई अड़सठ की, अब जाके देश जवान हुआ बीता बचपन ठोकरों में इसका, सभ्यता को भी ठेस लगी पड़ गई दरार संस्कृति में, जाति-पति की आग लगी पश्चिमी विकास की आंधी में, सामाजिक मूल्यों की बलि चढ़ी इस देश का जाने क्या होगा, अपराधियों के…

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